नौ ग्रहों के राजा सूर्य को एकमात्र साक्षात देवता की संज्ञा दी जाती है. ऊर्जा के अथाह स्रोत माने जाने वाले सूर्य देव के बारे में कहा जाता है कि वे सात घोड़ों वाले रथ पर सवार होकर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं. उनका रथ एक पल के लिए भी रुकता नहीं है, इसलिए हमें सूर्य का प्रकाश धरती पर निरंतर मिलता रहता है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार सूर्य देव के रथ से जुड़े इन सात घोड़ों के नाम गायत्री, भ्राति, उष्निक, जगती, त्रिस्तप, अनुस्तप और पंक्ति हैं. ये सात घोड़े सप्ताह के सात दिनों को दर्शाते हैं. इसके अलावा ये सातों घोड़े इंद्रधनुष के सात रंगों के भी प्रतीक माने जाते हैं. सूर्य देव के रथ को अरुण देव द्वारा चलाया जाता है. रथ में लगा एक पहिया एक साल को और उसमें लगी 12 तीलियां साल के 12 महीने को दर्शाती हैं. वैसे तो सूर्य देव का रथ हमेशा एक निश्चित चाल से चलता रहता है, लेकिन ऐसा कहा जाता है कि खरमास में सूर्य देव के रथ की चाल थोड़ी धीमी हो जाती है. यही कारण है खरमास में सूर्य का प्रकाश धरती पर मंद पड़ जाता है.