कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी, जानें अमरनाथ गुफा से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में !

कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी, जानें अमरनाथ गुफा से जुड़ी पौराणिक कथा के बारे में !

भगवान शिव,, जिनका ना आदि है ना अंत। इन्हें लोग तमाम नामों से पुकारते हैं। कोई इन्हें रूद्र कहता है तो कोई भोले शंकर। इनका निवास स्थान हिमालय पर्वत को माना जाता है। इसी हिमालय पर्वत पर है अमरनाथ गुफा,, जिसमें हर साल बर्फ से शिवलिंग की आकृति बनती है और लोग उन्हीं बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पूरे उत्साह के साथ यहां पहुंचते हैं।

अमरनाथ गुफा की पौराणिक कथा

एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव से मोक्ष का मार्ग जानने की इच्छा जताई। शिव जी ने इसके लिए माता पार्वती को अमरत्व की कथा के बारे में बताया। इस कथा को सुनने के लिए उन्होंने एक ऐसा स्थान ढूंढा, जहां कोई और इस अमर कथा को ना सुन सके। ये स्थान था, अमरनाथ गुफा। गुफा में जाते समय सबसे पहले उन्होंने पहलगाम में अपने नंदी का परित्याग किया। इसके बाद चंदनवाड़ी में अपनी जटाओं से चंद्रमा को मुक्त किया, फिर शेषनाग नाम की झील के किनारे अपने गले से सांप को मुक्त किया। बाद में महादेव ने अपने पुत्र गणेश को महागुनस पर्वत पर छोड़ा। भगवान शिव ने पंचतरणी नाम की जगह पर पंच तत्वों पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश का भी त्याग किया।

इन सभी को पीछे छोड़कर भगवान शिव ने माता पार्वती के साथ अमरनाथ गुफा में प्रवेश किया और वहां समाधि ली। गुफा के आसपास मौजूद हर जीव को नष्ट करने के लिए शिव ने कालाग्नि बनाई और उसे आग फैलाने का आदेश दिया, ताकि माता के अलावा कोई और अमर कथा न सुन सके।

अब भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताना शुरू किया। इस दौरान अचानक आए कबूतर के एक जोड़े ने अमरत्व का रहस्य सुन लिया। इसके बाद ही कबूतर का ये जोड़ा अमरत्व को प्राप्त हो गया। अमर साक्षी होने की वजह से इस गुफा को अमरनाथ गुफा कहा जाता है। आज भी अमरनाथ गुफा जाने वाले तीर्थयात्री इन कबूतरों के जोड़े को दिखाई पड़ने का दावा करते हैं। इतने ऊंचे और ठंड वाली जगह पर इन दोनों का आना किसी आश्चर्य से कम नहीं है।

कैसे प्रकट होते हैं बाबा बर्फानी ?

अमरनाथ गुफा में बर्फ की एक छोटी शिवलिंग सी आकृति बनती है, जो लगातार 15 दिनों तक रोज थोड़ी-थोड़ी बढ़ती जाती है। 15 दिन में इस शिवलिंग की ऊंचाई 2 गज से ज्यादा हो जाती है। चंद्रमा के घटने के साथ ही शिवलिंग का आकार भी घटने लगता है और उसके लुप्त होने पर शिवलिंग भी अंतर्ध्यान हो जाता है।

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