श्रीकृष्ण ने बलराम के छोटे भाई के रूप में क्यों लिया जन्म, पढ़ें ‘कान्हा’ की बहन से जुड़ी ये रोचक कथा !

श्रीकृष्ण ने बलराम के छोटे भाई के रूप में क्यों लिया जन्म, पढ़ें ‘कान्हा’ की बहन से जुड़ी ये रोचक कथा !

द्वापर युग में जिस समय भगवान विष्णु के 8वें अवतार के रूप में श्रीकृष्ण ने जन्म लिया, उस समय मथुरा के राजा कंस के अत्याचारों से पूरी प्रजा परेशान थी। नन्हे कान्हा का जन्म भी कुछ ऐसी ही विपरीत परिस्थितियों को झेलते हुए कारागृह में हुआ, जहां उनके माता-पिता के हाथ और पैर बेड़ियों में जकड़े हुए थे।

ये भी पढ़ें- भगवान शिव, चंद्रमा और मन का है खास संबंध, जानें कैसे !

देवकी की 7वीं संतान के रूप में हुआ था बलराम जी का जन्म

दरअसल कंस की बहन देवकी के साथ वासुदेव के विवाह के समय एक आकाशवाणी हुई थी, कि इनकी 8वीं संतान ही कंस का वध करेगी। तभी से कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागृह में डलवा दिया था। इतना ही नहीं कंस ने एक-एक करके उनकी जन्म लेने वाली 6 संतानों को भी मार डाला था। तब देवकी और वासुदेव की 7वीं संतान के रूप में श्रीकृष्ण के बड़े भाई और शेषनाग के अवतार बलराम ने जन्म लिया। पौराणिक कथा के अनुसार, श्रीकृष्ण और बलराम के अलावा इनकी एक बहन भी थीं, जो माता अष्टभुजा कहलाईं।

इसलिए मनाया जाता है ‘हलषष्ठी’ पर्व

जहां एक ओर शेषनाग अवतार बलराम का जन्म हर साल भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को होता है। वहीं इसी महीने की अष्टमी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भी बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। बलराम जी को ‘हलधर’ यानि हल धारण करने वाले के रूप में भी जाना जाता है। यही कारण है कि उनके जन्म की तिथि को ‘हलषष्ठी’ नाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं संतान की कामना के लिए व्रत रखती हैं और हल की जुताई से उगे हुए अनाज नहीं खाती हैं।

ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु का अंश माने जाने वाले शेषनाग, उनके हर अवतार के साथ अवश्य धरती पर आते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, जब 7वीं संतान के रूप में बलराम जी गर्भ में स्थापित हुए, तो भगवान विष्णु ने अपनी योग माया से उन्हें माता रोहणी के गर्भ में स्थानांतरित कर दिया। इसलिए उनका जन्म श्रीकृष्ण के बड़े भाई के रूप में नंदबाबा के यहां हुआ। बलराम जी मल्लयुद्ध, कुश्ती और गदायुद्ध में पारंगत थे।

माता रोहिणी के गर्भ से हुआ था बलराम जी का जन्म

वहीं एक अन्य कथा के अनुसार माता रोहिणी अपने पूर्व जन्म में कश्यप ऋषि की पत्नी कद्रू थीं। कद्रू ने ही सृष्टि की शुरुआत में नागों को जन्म दिया था। शेषनाग का जन्म भी उनके ही गर्भ से हुआ था। वो नागमाता के बड़े पुत्र के रूप में जन्मे थे। यही वजह थी कि उनका जन्म माता रोहिणी के गर्भ से हुआ। देवकी के गर्भ से खींचे जाने के कारण ही बलराम का एक नाम संकर्षण भी है।

मां अष्टभुजा को भी माना जाता है श्रीकृष्ण की बहन

वहीं पुराणों के अनुसार, माता अष्टभुजा भी भगवान श्रीकृष्ण की बहन मानी जाती हैं। कहा जाता है कि जब पापी कंस,, जन्म लेने वाले देवकी के हर बच्चे का वध कर रहा था। तो इसी बीच देवकी की कोख से ज्ञान की देवी मां सरस्वती के रूप में माता अष्टभुजा अवतरित हुईं, जो कंस के हाथों से छूट कर विंध्याचल पर्वत पर विराजमान हो गईं। तब से मां अष्टभुजा अपने भक्तों को अभय प्रदान कर रही हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

7 − five =

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.